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इस फिल्म की कहानी रात के सन्नाटो में चीखती हुई नापाक आत्माओं कि कहानी है।
खौलते हुए खून और जुल्म कि चिंगारी से निकली हुई भयानक इन्तेकाम कि कहानी है, यह उन बेताब और गर्म गर्म साँसों की कहानी है जो जवानी को बेकाबू होकर बहकने पर मजबूर कर देती है।
ठाकुर जागीर सिंह (शक्ती कपूर) ने जब भोला (मोहन जोशी) पर जुल्म ढाया तो भोला ने बदला लेने के लिए भूतराज बनकर लाशों की बरसा करना शुरू कर दिया। और एक दिन ठाकुर की बेटी को मार डाला।
और इसके बाद ठाकुर और लाल पहाडी (गोगा कपूर) ने भूतराज की बेटी की इज्जत लूट ली। भूतराज अपनी बेटी कामिनी (पूनम दास गुप्ता) को शैतानी ताकत का मालिक बना दिया। शैतानी शक्ती मिलते ही कामिनी ने लाल पहाडी को जिन्दा जला डाला मगर वह चालाक ठाकुर के हाथो मारी गई।
तब भूतराज ने कामिनी को अपना खून पिलाकर चुडैल बना दिया मगर ठाकूर ने भूतराज को भी मार डाला। और ठाकुर अपने बच्चों को लेकर शहर चला गया। और वह जाकर मर गया। कहते है जहाँ जिसका मरना होता है मौत उसे वही खीच कर ले जाती है। इसी लिए कुछ बरसों बाद हवेली में मरने के लिए ठाकुर का बेटा राजेश (किरण कुमार) उसकी पत्नी हेमा (उषा राज), बहन श्वेता (सतनाम कौर), अजय (पृथ्वी), काले खाँ (किशोर भानुशाली), सलमा (मेघना) आ गये।
दो गुण्डे अल्टू (दीपक शिर्के) और पल्टू (रामी रेड्डी) भी खजाने के लालच में वहाँ पहुँच गये। मगर वहाँ लुटेरों कि पहले से गैंग मौजूद थी।
जिसमें रजामुराद, राजेश विवेक, अनिल नागरथ, बीरबल और उनके साथी मौजूद थे। फिर क्या हुआ कामिनी ने चुडैल बन कर किस किस का खून पिया, कौन मारा गया और कौन बचा यह जानने के लिए देखिए ईश्वर फिल्म कि दिल दहला देनेवाली फिल्म "भूतराज"।
(From the official press booklet)